5 Common Mistakes In Wudu | 5 ग़लतियाँ जो वुज़ू में होती हैं

एक मुसलमान जब वुज़ू करता है, तो वो सिर्फ़ जिस्मानी पाकी हासिल नहीं करता बल्कि रूहानी पाकीज़गी भी हासिल करता है, और वज़ू इतनी अहम् चीज़ है कि नमाज़ जैसी अज़ीम इबादत के सही होने का पूरा दारोमदार सही वुज़ू पर है। यानि नमाज़ सही तभी होगी जब वज़ू सही होगा, लेकिन बहुत से लोग वुज़ू करते वक़्त ये 5 ग़लतियाँ करते हैं (5 Common Mistakes In Wudu) जिनसे वुज़ू नाक़िस अधुरा रह जाता है। आइए देखते हैं वो ग़लतियाँ कौन-सी हैं:

लेकिन पहले देख लें कि वज़ू के बारे में क़ुरान के बारे में अल्लाह तआला ने क़ुरआन में क्या फ़रमाया:

"ऐ ईमान वालो! जब तुम नमाज़ के लिए खड़े होने लगो तो अपने चेहरे और हाथों को कुहनियों तक धो लो, और अपने सिरों का मसह करो और पैरों को टखनों तक धो लो।"
(सूरह अल-माइदा: 6)

यह आयत साफ़ बताती है कि वुज़ू केवल एक शारीरिक या जिस्मानी सफ़ाई नहीं है, बल्कि अल्लाह की इबादत के लिए रूहानी तैयारी है।

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
"जब कोई बंदा अच्छे तरीक़े से वुज़ू करता है, तो उसके गुनाह उसके शरीर से गिर जाते हैं, यहाँ तक कि उसके नाख़ूनों के नीचे से भी।"
(सहीह मुस्लिम, हदीस: 244)

यानी वुज़ू गुनाहों की माफी का ज़रिया भी है, यही वजह है कि इसे सही तरीक़े से करना हर मुसलमान के लिए ज़रूरी है

क़ुरआन करीम में अल्लाह तआला फ़रमाते हैं:

فَاغْسِلُوا وُجُوهَكُمْ وَأَيْدِيَكُمْ إِلَى الْمَرَافِقِ وَامْسَحُوا بِرُءُوسِكُمْ وَأَرْجُلَكُمْ إِلَى الْكَعْبَيْنِ

“तो अपने चेहरों को और अपने हाथों को कुहनियों तक धो लो, और अपने सिरों का मसह करो, और अपने पैरों को टखनों तक धो लो।”
(सूरह अल-माइदा: आयत 6)

चेहरा हाथ, बाज़ू, सर का मसह और पाँव धोना फ़र्ज़ है। अक्सर लोग उंगलियों के दरमियान, नाख़ूनों के नीचे, और पैरों की उंगलियों के बीच पानी पहुँचाने में ग़फ़लत करते हैं। ऐसा वुज़ू मुकम्मल नहीं होता।

चेहरा धोते वक़्त बालों की जड़ों से ठुड्डी तक और कान से कान तक पानी पहुँचना फ़र्ज़ है लेकिन अक्सर लोग लोग दाढ़ी या पेशानी पर पानी ठीक से नहीं पहुँचाते और औरतों के नक़ाब, मेकअप जैसी गाढ़ी चीज़ें भी कभी पानी के पहुँचने में रुकावट डाल देती हैं।

याद रखें: अगर बाल बराबर हिस्सा भी सूखा रह जाए तो वुज़ू मुकम्मल नहीं होगा।

हाथ की कुहनियों समेत हाथ धोना फ़र्ज़ है लेकिन लापरवाही करने पर पूरी तरह कुहनी भीग नहीं पाती और हाथ में पहनी हुई अंगूठियों या कसी हुई चूड़ियों की वजह से भी पानी रुक सकता है, और इन तमाम वजहों से वज़ू अधूरा रह जाता है

हदीस: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया, "वो वुज़ू मुकम्मल नहीं जिसने कुहनियों तक पानी न पहुँचाया।" (अबू दाऊद)

सर का मसह करना वुज़ू का अहम् हिस्सा है, पूरी पेशानी और सिर का मसह होना चाहिए, लेकिन कुछ लोग सिर्फ़ आगे के बालों पर हाथ फेरते हैं, और मसह ठीक से नहीं करते हैं, इसके अलावा कुछ औरतें जानकारी न होने की वजह से दुपट्टा या हिजाब की वजह से मसह अधूरा करती हैं।

तरीक़ा: गीले हाथ पूरे सर पर आगे से पीछे और फिर पीछे से आगे फेरें।

पाँव धोते वक़्त टखनों तक पानी पहुँचाना फ़र्ज़ है, लेकिन जल्दबाज़ी में पाँव धोने की वजह से एड़ियों तक पानी नहीं पहुँच पाता और वो सूखी रह जाती हैं और उंगलियों के दरमियान पानी पहुँचाना बहुत ज़रूरी है लेकिन आप ख़ुद जानते हैं कि जल्दी में पानी उंगलियों के बीच नहीं पहुँच पाता है।

हदीस: रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
"उन एड़ियों के लिए जहन्नम की आग है जो वुज़ू में धोई नहीं गईं।" (बुख़ारी)

वुज़ू के फ़र्ज़ पूरे करना ज़रूरी है क्यूंकि इसके बगैर वज़ू होगा ही नहीं, लेकिन सुन्नत तरीक़े पर अमल करने से रूहानियत और सवाब बढ़ जाता है, इसलिए हमें वज़ू सुन्नत तरीक़े से करना है और वज़ू की सुन्नतें ये हैं:

दिल में नीयत करना कि “मैं पाकी हासिल करने और नमाज़ पढ़ने के लिए वुज़ू कर रहा हूँ।”
(ज़ुबान से कहना ज़रूरी नहीं, दिल में इरादा काफी है)

वुज़ू शुरू करने से पहले “बिस्मिल्लाह” यानि “بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ” कहना।

कलाई तक दोनों हाथों को अच्छी तरह तीन बार धोना।

वुज़ू से पहले मिस्वाक करना सुन्नत है।
(नबी ﷺ हर वक़्त मिस्वाक करने का ध्यान रखते थे)

दाहिने हाथ से तीन बार पानी लेकर मुँह को धोना और अच्छी तरह कुल्ली करना।

तीन बार दाहिने हाथ से नाक में पानी डालना और बाएँ हाथ से साफ़ करना।

बाल उगने की जगह से लेकर ठोड़ी तक और एक कान से दूसरे कान तक पूरा चेहरा धोना।

पहले दाहिना, फिर बायाँ हाथ।

सिर के आगे से पीछे तक और फिर पीछे से आगे तक हाथ फेरना।

उसी गीले हाथ से कानों का अंदर-बाहर मसह करना।

पहले दाहिना, फिर बायाँ पैर, उंगलियों के बीच सफाई के साथ।

हर अंग को धोते वक़्त दाहिनी तरफ़ से शुरू करना सुन्नत है। जैसे हाथ हो या पैर पहले दायाँ फिर बायाँ धोना |

सिवाय मसह के, कि मसह एक ही बार किया जाता है।

जैसा कुरआन में बताया गया है उसी Sequence में वज़ू करना, और बिना लंबा वक़्फ़ा किए पूरा करना यानि ये नहीं कि चेहरा धोया था कि बातों में लग गए और इतनी देर हो गयी कि चेहरा सूख गया तब कुहनियों समेत हाथ धो रहे हैं सुन्नत तरीक़ा ये है कि एक के बाद एक जिस्म के हिस्सा धोकर वज़ू ख़त्म करना |

أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلٰهَ إِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيْكَ لَهُ، وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ
اللّهُمَّ اجْعَلْنِيْ مِنَ التَّوَّابِيْنَ، وَاجْعَلْنِيْ مِنَ الْمُتَطَهِّرِيْنَ

"अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहू ला शरीक लह,
व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह
अल्लाहुम्मज्अल्नी मिनत् तव्वाबीना वज्अल्नी मिनल मुता तह्हिरीन।"

“मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं।
और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद ﷺ उसके बन्दे और रसूल हैं।
ऐ अल्लाह! मुझे तौबा करने वालों में और पाक रहने वालों में शामिल फ़रमा।”

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: "जो शख़्स अच्छे तरीक़े से वुज़ू करता है, उसके गुनाह उँगलियों के नाख़ूनों से गिर जाते हैं।" (सहीह मुस्लिम — हदीस संख्या 245)
5 Common Mistakes In Wudu

बहुत से लोग वुज़ू करते समय जल्दबाज़ी करते हैं, खासकर जब उन्हें नमाज़ के लिए देर हो रही होती है। इस जल्दबाज़ी में अक्सर शरीर के हिस्से अच्छे से नहीं धुलते और वुज़ू अधूरा रह जाता है।

  • चेहरा या हाथ सिर्फ़ ऊपर-ऊपर से धो लेना।
  • पाँव हल्के से छू लेना लेकिन एड़ियों तक पानी न पहुँचाना।
  • सिर का मसह अधूरा करना।
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

"उन एड़ियों के लिए जहन्नम की आग है जो वुज़ू में धोई नहीं गईं।"

(सहीह बुख़ारी, किताबुल-वुज़ू, हदीस: 60)

इस हदीस से साफ़ मालूम होता है कि जल्दबाज़ी करने से वुज़ू अधूरा रह सकता है और यह इंसान के लिए आख़िरत में सख़्त सज़ा का कारण बन सकता है। इसलिए वुज़ू हमेशा इत्मीनान और ध्यान के साथ करना चाहिए। यह केवल पानी छिड़कने का अमल नहीं बल्कि इबादत की तैयारी है।

दोस्तों, वुज़ू एक रूहानी अमल है ये सिर्फ़ पानी से जिस्म धोना नहीं, बल्कि दिल और दिमाग़ को भी अल्लाह की याद में मशग़ूल करना है। जब हम वुज़ू करते हैं तो हमें एहसास होना चाहिए कि हम इबादत की तैयारी कर रहे हैं। इसलिए वुज़ू करते वक़्त बातें करना। हँसी-मज़ाक़ में मशग़ूल हो जाना बिल्कुल भी मुनासिब नहीं।

ऐसा करने से इंसान की तवज्जोह बिखर जाती है, और अक्सर इस जल्दबाज़ी और ग़फ़लत की वजह से जिस्म के अज़ा ठीक से नहीं धुलते।

नसीहत:
अलिम-ए-दीन फ़रमाते हैं कि वुज़ू करते वक़्त ख़ामोशी और तवज्जोह के साथ तस्बीह या दुआएँ पढ़ना बेहतर है। इससे दिल अल्लाह की याद से जुड़ा रहता है और वुज़ू की रूहानियत और सवाब बढ़ जाता है।
सूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
"इसराफ़ मत करो, चाहे तुम बहते हुए दरिया के किनारे ही क्यों न हो।"
(سنن ابن ماجہ: 425)

इस हदीस से मालूम होता है कि इस्लाम में फ़िज़ूल-ख़र्ची और इसराफ़ हर हाल में नापसंद है, चाहे अपने पास पानी ज़्यादा ही क्यों न हो।

आजकल अफ़सोस की बात है कि बहुत लोग वुज़ू करते वक़्त नल खुला छोड़ देते हैं और बेशुमार पानी बहा देते हैं, यह अमल करना न सिर्फ़ इस्लामी तालीमात के ख़िलाफ़ है बल्कि अल्लाह की नेअमत की नाशुक्री भी है, इसलिए याद रखें: पानी की बचत करना सुन्नत है और पानी का इसराफ़ करना गुनाह शुमार किया जाता है।

वुज़ू सिर्फ़ जिस्मानी पाकीज़गी नहीं बल्कि रूहानी तैयारी है। अगर हम इन ग़लतियों से बचें और सुन्नत तरीक़े पर वुज़ू करें तो नमाज़ में सुकून और अल्लाह की क़ुर्बत ज़्यादा हासिल होगी। अल्लाह त आला हम सबको अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए, आमीन |

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