Bismillah | Bismillah Ke Fayde | Bismillah Ke Fazail

जब हम कोई काम करना शुरू करते हैं चाहे वो रोज़मर्रा के काम हों या कभी कभी करने वाले काम हों, तो शैतान उस में दखलन्दाज़ी कर सकता है और रुकावट डाल सकता है, ज़रूरी नहीं कि वो शैतान जिन्नात की शक्ल में हों वो इंसान की शक्ल में भी हो सकता है, लेकिन एक लफ्ज़ ऐसा है जिसे आप हर काम की शुरुआत में पढ़ लें तो कोई इसका तोड़ नहीं कर सकता जब अल्लाह न चाहे, वो लफ्ज़ है Bismillah (बिस्मिल्लाह) तो चलिए आज हम Bismillah Ke Fayde पर रौशनी डालेंगे |

क्यूंकि अगर आप सिर्फ़ ज़रा सी जुबान हिला कर Bismillah या bismillah hir rahmanir Raheem पढ़ लेते हैं तो न सिर्फ़ आपके खाते में सवाब लिख दिया जायेगा बल्कि शैतानी ताक़तों से आपकी और आपके काम की हिफ़ाज़त हो जाएगी, तो चलिए पढ़ते हैं पोस्ट पढ़ने से पहले Bismillah

Bismillah In Quran | क़ुरआन पाक में बिस्मिल्लाह

सब से पहले यानि सूरह फ़ातिहा से पहले जब क़ुरआन शुरू होता है

सूरह सबा में है जब सुलैमान अ.स. ने मलिकए सबा को ख़त लिखा है तो उसकी शुरुआत बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम से की है तो वहीँ वाक़िया सूरह सबा में ज़िक्र है

Bismillah In Hadees | हदीस शरीफ़ में बिस्मिल्लाह

खाने से पहले बिस्मिल्लाह

जिस खाने को बिस्मिल्लाह पढ़ कर खाया जाये तो उस में बरकत बढ़ जाती है ( सुनन इब्ने माजा )

अगर हम चाहते हैं कि हमारे खाने में बरकत हो और वो हमारे लिए सेहत की ज़मानत हो तो ऊपर बताई गयी हदीस के मुताबिक़ जब भी खाना खाने बैठें तो बिस्मिल्लाह ज़रूर पढ़ लें

जिस खाने पर बिस्मिल्लाह न पढ़ी जाये तो उस खाने पर शैतान को इख्तियार हासिल हो जाता है ( सुनन अबू दाऊद )

और अगर बिस्मिल्लाह से शुरुआत न की तो बरकत तो दूर उस कहने में शैतान भी शामिल हो जाता है और जिसका शामिल होना सिर्फ और सिर्फ हमारे लिए नुक़सान ही है और कुछ नहीं

हज़रत वहशी (रज़ियल लाहु अन्हु) ने अर्ज़ किया, या रसूलल लाह : हम खाना खाते हैं लेकिन सेर नहीं होते (यानि मुतमइन नहीं होते ) तो अल्लाह के नबी (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया कि क्या तुम लोग अलग अलग बैठ कर खाना खाते हो तो इन्होने कहा : हाँ, या रसूलुल लाह ; ऐसा ही होता है, तो आप स.अ. ने फ़रमाया : खाना इकट्ठे खाया करो और इस पर अल्लाह का नाम लिया करो (यानि बिस्मिल्लाह पढ़ लिया करो) तो तुम्हारे खाने में बरकत डाल दी जाएगी ( सुनन इब्ने माजा )

इस हदीस में एक साथ बैठ कर खाना खाने की फ़ज़ीलत बताई गयी है और ये भी बताया गया है कि एक साथ मिल कर खाने और और उस पर बिस्मिल्लाह Bismillah पढने से ऐसी बरकत होती है कि कम खाने पर भी आदमी की भूक बाक़ी नहीं रहती और वो मुतमइन हो जाता है |

Bismillah
किसी काम से पहले बिस्मिल्लाह

जो काम बिसमिल्लाह पढ़ कर किये जाएँ वो काम शैतान के शर और फ़ितनों से महफूज़ रहते हैं

हम में से हर कोई ये चाहता है कि हमारा हर काम खैर और आफ़ियत के साथ हो जाये और हर तरह के फितने से महफूज़ रहे तो हमेशा अपना काम अल्लाह के नाम से ही शुरू करें बस इतना पढ़ लें “बिस्मिल्लाह” और यही ऊपर वाली हदीस में बताया गया है |

दरवाज़ा बंद करने से पहले बिस्मिल्लाह

हमारे नबी के एक सहाबी हज़रत जाबिर (र.अ.) कहते हैं कि हुज़ूर (स.अ.) ने फ़रमाया : रात को सोने पहले बिस्मिल्लाह पढ़ कर दरवाज़ा बंद किया करो क्यूंकि बिस्मिल्लाह पढ़ कर बंद किये गए दरवाज़े शैतान खोल नहीं सकता ( सहीह बुख़ारी )

लाइट बंद करने और बर्तन ढांपने से पहले बिस्मिल्लाह

हज़रत जाबिर (रज़ियल लाहु अन्हु) रिवायत करते हैं कि नबी पाक (स.अ.) ने फ़रमाया कि जब रात का अँधेरा छा जाये तो अपने बच्चों को घर में रोक लिया करो, क्यूंकि इस वक़्त शैतान और जिन्नात फैल जाते हैं, इशा के कुछ देर बाद बच्चों को छोड़ दिया करो, घर का दरवाज़ा बिस्मिल्लाह पढ़ कर बंद किया करो, चिराग़ को बिस्मिल्लाह पढ़ कर बुझाओ, पानी के बर्तन को बिस्मिल्लाह पढ़ कर ढांप दो और दूसरे बर्तन भी बिस्मिल्लाह कह कर ढांप दो अगर ढक्कन न हो तो कोई चीज़ आड़ी रख दो (सहीह बुख़ारी)

जब इंसान खाने को खुला छोड़ता है तो उसमें बीमारियाँ नाज़िल होती है (सहीह मुस्लिम)

इस हदीस से पता चलता है कि बीमारियाँ नाज़िल होती हैं तो अगर बिस्मिल्लाह पढ़ कर ढांक दिया जाये तो बीमारियाँ उस में दाखिल नहीं होने पाती |

घर से निकलने से पहले बिस्मिल्लाह

हज़रत अनस बिन मालिक (रज़ियल लाहु अन्हु) रिवायत करते हैं कि नबी पाक (सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया जब आदमी अपने घर से निकलता है और ये दुआ पढ़ता है

بِسْمِ اللّٰہِ تَوَکَّلْتُ عَلَی اللّٰہِ لَاحَوْلَ وَلَاقُوَّةَ اِلَّابِاللّٰہِ۔

“मैं अल्लाह ही के नाम से निकलता हूँ और अल्लाह ही पर भरोसा करता हूँ गुनाहों से बचने की ताक़त और नेकी हासिल करने की क़ुव्वत सिर्फ़ अल्लाह ही की तरफ़ से है

तो दुआ पढ़ लेने के बाद पढ़ने वाले के हक़ में ये कहा जाता है कि सारे कामों में तेरी रहनुमाई की गयी और तेरी किफायत की गयी, हर तरह की बुराई और नुक़सान से तू बचा लिया गया और शैतान इस से अलग हो जाता है और दूसरा शैतान उस से कहता है कि तुम इस पर कैसे मुसल्लत हो सकते हो जिसकी रहनुमाई की गयी और जिसकी किफायत की गयी  ( सुनन अबू दाऊद )

कपड़े उतारने से पहले बिस्मिल्लाह

हज़रत अली रज़ियल लाहु अन्हु रिवायत करते हैं कि (रसूलुल लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया : बिस्मिल्लाह पढ़ना जिन्नात की आँखों और बनी आदम की शर्मगाह के दरमियान परदा बन जाता है (तिरमिज़ी शरीफ़)

जब इंसान कपड़े उतारता है तो शैतान उसकी शर्मगाह से खेलता है लेकिन अगर बिस्मिल्लाह पढ़ ले तो शैतान और शर्मगाह के बीच एक परदा आ जाता है और वो इंसान को नुक़सान नहीं पहुंचा सकता, इसीलिए हदीस में आता है कि जब बैतुलखला जाओ तो दुआ पढ़ कर जाओ |

बैतुलखला जाने की दुआ

اَللّٰہُمَّ اِنِّیْ اَعُوْذُبِکَ مِنَ الْخُبُثِ وَالْخَبَآئِثِ۔

Allahumma Inni Au’zubika Minal Khubusi Wal Khabais

ए अल्लाह ! मैं तेरी पनाह चाहता हूँ नापाक जिनों ( ख़बीसो) और नापाक जिन्नियों से

हमबिस्तरी करने से पहले बिस्मिल्लाह

हमबिस्तरी से पहले बिस्मिल्लाह पढने से औलाद शैतान के शर महफ़ूज़ रहती है

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल लाहु अन्हु) रिवायत करते हैं कि (रसूलुल लाह सल्लल लाहू अलैहि) वसल्लम ने फ़रमाया कि जब तुम लोगों में से कोई अपनी बीवी की तरफ़ आने का इरादा करे तो ये पढ़े

بِسْمِ اللَّهِّ اللَّهُمَّ جَنِّبْنَا الشَّيْطَانَ وَجَنِّبِ الشَّيْطَانَ مَا رَزَقْتَنَا

Bismillahii Allahumma Jannib Nash Shaitana Wa Jannabish Shaitana Ma Razaqtana

“अल्लाह के नाम के साथ शुरू करता हूँ, ए अल्लाह हमें शैतान के शर से बचा, और शैतान को इस चीज़ से दूर रख जो तू हमें अता फरमाए (सहीह मुस्लिम)

Bismillah
झगड़ा ख़त्म करने लिए

मियां बीवी में झगड़ा हो गया हो तो आपस में मुहब्बत पैदा करने के लिए बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम 786 बार पढ़े और पानी पर दम करके पियें तो इंशाअल्लाह दोनों में मुहब्बत पैदा होगी

अगर शौहर नाराज़ है तो बीवी उसको मनाने के लिए ये वज़ीफ़ा कर सकती है और अगर बीवी नाराज़ है तो शौहर उसको मनाने के लिए ये अमल कर सकता है

घर वालों का आपस में झगड़ा ख़त्म करना हो तो

अगर भाई बहनों में झगड़ा हो या घर के दुसरे लोगों की आपस में अनबन चल रही हो तो ऊपर बताया गया वज़ीफ़ा यानि 786 बार पढ़ कर पानी पर दम करके पियें इंशाअल्लाह आपस में मुहब्बत पैदा होगी

कोई काम अटक जाये तो

कोशिश करने के बावुजूद भी किसी काम में रुकावट आ रही हो और काम आगे न बढ़ पा रहा हो तो मगरिब के बाद 786 बार बिस्मिल्लाह (Bismillah) पढ़े ( शबे जुमा यानि जुमेरात को ये अमल शुरू करे जुमेरात तक करे यानि 7 दिन तक ये अमल करे) इंशाअल्लाह हर मुश्किल आसान हो जाएगी (शुरू और आख़िर में दुरूद पढ़ ले

घर में सुकून के लिए

क्या आपके घर में राहत के सारे सामान मौजूद हैं घर में सब कुछ है लेकिन सुकून नहीं है बेसुकूनी का माहौल रहता है घर में सारे लोगों में आपस में उलझन रहती है तो फ़ज्र की नमाज़ के बाद 786 बार बिस्मिल्लाह (Bismillah) पढ़े और पानी पर दम कर के घर में छिड़क दे और घर में चल फिर कर इधर उधर फूंक दे और ये माल 41 दिन तक कर ले तो इंशाअल्लाह आप के घर में राहत और सुकून आप के साथ रहेगा |

अल्लाह तआला अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए |

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