Asar Ki Namaz In Hindi | अस्र की नमाज़ का तरीक़ा

आपको तो मालूम ही है कि हर मुसलमान पर पूरे दिन भर में 5 नमाज़ें फ़र्ज़ हैं, और ये पाँचों नमाज़ें इंसान के दिल, दिमाग और रूह को सुकून देती हैं। और इन्हीं नमाज़ों में से एक है अस्र की नमाज़ (Asar Ki Namaz In Hindi) तो आज हम अस्र की नमाज़ का तरीक़ा बताएँगे और इस नमाज़ की नियत कैसे करें? कितनी रकाते हैं? और वक़्त कब शुरू और ख़त्म होता है इस पर भी बात करेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं |

अस्र की नमाज़ का वक़्त वो होता है जब दिन अपने ढलान की तरफ़ बढ़ रहा होता है, और इंसान अपने काम-काज की दौड़-भाग में मसरूफ़ होता है। ठीक उसी वक़्त मस्जिद से अज़ान की आवाज़ आती है कि”ए लोगों ! अपने रब के सामने खड़े हो जाओ” फिर सारे मोमिन मस्जिदों में साफ बना कर अपने रब की इबादत में मशगूल हो जाते हैं।

अस्र” का मतलब होता है दोपहर के बाद का वक़्त, जब सूरज ढलने के क़रीब होता है। और अरबी में इस लफ्ज़ का मतलब है निचोड़ना या निकालना। और इस वक़्त को अस्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि दिन का आख़िरी हिस्सा मानो दिन को “निचोड़” कर अपना असर दिखा रहा होता है, थकान, कमजोरी और सुकून की ज़रूरत।

मतलब ये है कि जिस तरह दिन के आख़िरी हिस्से में इंसान अपनी मेहनत और कमाई का निचोड़ देखता है, उसी तरह यह नमाज़ भी इंसान को उसकी असल पहचान की तरफ़ वापस ले आती है।

रसूलुल्लाह ﷺ ने यह भी फ़रमाया:

"जो दो ठंडी नमाज़ें (फज्र और अस्र) जमात के साथ पढ़े, वह जन्नत में जाएगा।"

(बुख़ारी)

अस्र की नमाज़ इंसान को ईमान पर क़ायम रहने की तर्बियत देती है। यह हमें याद दिलाती है कि अल्लाह में कामयाबी है, न कि महज़ दुनिया के कामों में।

वक़्त शुरू होता है – जब दोपहर ढल जाए और हर चीज़ का साया लम्बा होने लगे, तब अस्र का वक़्त शुरू हो जाता है| आसान लफ़्ज़ों में जब जुहर का वक़्त ख़त्म होता है तब से अस्र का वक़्त शुरू हो जाता है

वक़्त ख़त्म होता है – सूरज डूबने लगे और सूरज डूबने से कुछ पहले तक रहता है। लेकिन बग़ैर वजह देर करना मना है। हदीस में है: “अस्र में देर करना, शैतान की कोशिशों में से है।”

अस्र की नमाज़ में टोटल 8 रकातें हैं ,

4 रकअतसुन्नत (ग़ैर मुअक्किदा)
4 रकअतफ़र्ज़

नियत ज़बान से कहना ज़रूरी नहीं बल्कि दिल से इरादा करने का नाम है, लेकिन अगर आप चाहें तो यूँ कह सकते हैं: “नियत करता हूँ में 4 रकअत फ़र्ज़ नमाज़ वक्ते अस्र, वास्ते अल्लाह तआला के, रूख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़”।

अस्र की नमाज़ में पहली दो रकअतों में सूरह फ़ातिहा के बाद कोई भी सूरह या आयत पढ़ी जा सकती है। बस ये याद रहे कि 3 छोटी आयतें पढ़ें या एक बड़ी आयत पढ़ें इस से कम नहीं होना चाहिए।

Asar Ki Namaz In Hindi

अगर किसी वजह से अस्र की नमाज़ छूट जाए, और अगर सूरज गुरूब होने का वक़्त नहीं आया तो अभी पढ़ लें लेकिन अगर वक़्त निकल गया तो बाद में क़ज़ा करनी पड़ेगी। लेकिन याद रखें: ग़ुरूब (सूरज डूबते वक़्त) के बिलकुल करीब नमाज़ पढ़ना मकरूह है, इसलिए देर करने से बचें।

  1. देर करना: चूंकि ये काम का वक़्त होता है इसलिए लोग कहते हैं “थोड़ा काम निपटा लूँ, फिर नमाज़ पढ़ लूँ।” लेकिन इसी चक्कर में जमात छूट जाती है और कभी कभी तो क़ज़ा भी हो जाती है।
  2. जल्दी-जल्दी पढ़ना: नमाज़ को अराम से, रुकू- सज्दा पूरा करके पढ़ना सुन्नत है।

अस्र के बाद यह 4 अज़कार (दुआएं) ज़रूर पढ़ें:

"أستغفر الله" 

astagfirul Laah (3 बार)

Hindi : ए अल्लाह ! मै तुझसे माफ़ी का तलबगार हूँ
Arabic: اللَّهُمَّ أَنْتَ السَّلَامُ وَمِنْكَ السَّلَامُ، تَبَارَكْتَ يَا ذَا الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ

Transliteration: Allahumma antas-salaam, wa minkas-salaam, tabaarakta yaa zal-jalaali wal-ikraam.

Hindi : ऐ अल्लाह! तू ही सलामत और अमान देने वाला है, और सलामती सिर्फ़ तेरे ही पास से मिलती है। तू बड़ी बरकत वाला है, ऐ जलाल और इकराम वाले (ज़ाती शान वाले) रब!
Arabic: اللَّهُمَّ أَعِنِّي عَلَىٰ ذِكْرِكَ وَشُكْرِكَ وَحُسْنِ عِبَادَتِكَ

Transliteration: Allahumma a‘inni ‘ala dhikrika wa shukrika wa husni ‘ibadatik.

Hindi (Urdu लहजा): ऐ अल्लाह! मेरी मदद फ़रमा कि मैं तेरी याद करता रहूँ, तेरा शुक्र अदा करता रहूँ और तेरी इबादत अच्छी तरह करता रहूँ।
आयतुल कुर्सी

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यह साबित है कि नमाज़ तनाव, बेचैनी और ज़हनी दबाव को कम करती है, रोहानी तौर पर, अस्र की नमाज़ इंसान को यह याद दिलाती है कि दिन की कमाई, दौलत, शोहरत सब फानी है। असल कमाई है अल्लाह के सामने सिर झुका देना। इसलिए अस्र की नमाज़ को ज़िन्दगी का हिस्सा बना लो, इसी में दुनिया की राहत और आख़िरत की कामयाबी है।

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