वुज़ू (Wudu) के बारे में अगर आप सोचते हैं कि इसके फ़ायदे तो सिर्फ़ धार्मिक या मज़हबी और रोहानी ही हैं तो आप ग़लत हैं, और अगर वुजू करते वक़्त आपको ये लगता है कि इससे सिर्फ़ आपके हाथ, पैर और मुंह साफ़ हो रहे हैं और सिर्फ़ जिस्मानी ताज़गी मिल रही है तो ये जानकारी भी अधूरी है तो मुकम्मल जानकारी के लिए चलिए आज हम आपको वुज़ू के रूहानी और जिस्मानी फ़ायदे (Benefits Of Wudu In Islam) बताएँगे, जिससे आपको पता चलेगा कि ये छोटी सी इबादत अपने अन्दर कितनी गहराई लिए हुए हैं |
आप जानते ही हैं कि एक इन्सान दो चीज़ों से मिलकर बना है (1) जिस्म (2) रूह, तो अगर आप जिस्म की भूक मिटाते हैं लेकिन रूह को पीछे छोड़ देते हैं, तो यही रूह की भूक आपको बेचैन कर देगी, आप ऊपर से तो ताज़ादम दिखेंगे लेकिन अन्दर से आप मुरझाये रहेंगे, क्यूंकि रूह को भी ताज़गी चाहिए उसको भी गिज़ा चाहिए, और उसकी गिज़ा वुजू, नमाज़ और अल्लाह के ज़िक्र से मिलती है |
तो यहाँ पर मेरे बताने का मक़सद यही है कि वुजू सिर्फ़ नमाज़ की तैयारी नहीं, बल्कि रूह और जिस्म दोनों की सफ़ाई का ज़रिया भी है, और वुज़ू सिर्फ़ एक मज़हबी अमल नहीं, बल्कि एक लाइफ़-ट्रांसफ़ॉर्मिंग प्रैक्टिस है, वुज़ू सिर्फ़ पानी से हाथ पैर धुल देने का नाम नहीं है, बल्कि वुज़ू एक रोहानी ताज़गी (spiritual refreshment) है।
अब आइये देखते हैं कि वुजू जब हम करते हैं, तो कौन कौन से फ़ायदे हमारे जिस्म को मिलते हैं और कौन कौन से फ़ायदे हमारी रूह को मिलते हैं, यानि वुज़ू के रूहानी और जिस्मानी फ़ायदे क्या हैं, आइए समझते हैं |
Benefits Of Wudu In Islam
वुज़ू के रूहानी (Spiritual) फायदे
1. गुनाहों की माफी
सोचिए अभी आप वुज़ू करने बैठे हैं, और ठंडा पानी चेहरे पर पड़ा, वैसे ही नबी ﷺ की वो बात याद आई:
“जब एक मुसलमान वुज़ू करता है और चेहरा धोता है, तो उसके चेहरे के गुनाह पानी के साथ निकल जाते हैं, यहाँ तक कि आँखों से जो गुनाह हुए हों वो भी।”
(सहीह मुस्लिम)
उस वक़्त आप क्या सोचेंगे ? यही ना, कि पानी की हर बूंद के साथ आपके गुनाह बह रहे हैं और बज़ाहिर मैं अपने जिस्म को ताज़ादम और रिफ्रेश कर रहा हूँ, लेकिन अल्लाह भी कितना करीम है और रहीम है कि इस जिस्मानी ताज़गी के बहाने हमारी रूहानी धुलाई भी कर देता है यानि गुनाहों से पाक कर देता है।
2. चेहरे पर नूर और चमक
आप देखेंगे कि क़यामत के दिन जब हर कोई अंधेरे में होगा तो उस गहरे अँधेरे में वुज़ू करने वाले लोगों के चेहरे और हाथ पैरों को नूरानियत अता की जाएगी और वो उस नूर से चमकेंगे। और इसके बारे में हदीस में है कि
रसूल ﷺ ने फ़रमाया: “मेरे उम्मती वुज़ू की वजह से चमकते हुए आएंगे।” (बुखारी, मुस्लिम)
यानि जो शख्स आज इस दुनिया में वुजू के ज़रिये से अपने जिस्म को रोहानी और जिस्मानी तौर पर धोता है, तो कल उसकी रूह रोशनी से नहाई हुई होगी।
और हक़ीक़त तो ये है कि यह नूर सिर्फ़ आख़िरत का ही नहीं, बल्कि दुनिया में भी उन चेहरों पर दिखता है जो पूरी अक़ीदत और तहारत के साथ वुजू करते हैं, और इस वुजू की बरकत से उनके चेहरों पर सुकून, सादगी और चमक दुनिया में ही ज़ाहिर होना शुरू हो जाती है |
3. शैतान से हिफ़ाज़त
जो इंसान बार-बार वुज़ू करता है और बे वुज़ू नहीं रहता, यानि जैसे ही वजू टूटा फ़ौरन दोबारा कर लिया तो वो हमेशा अल्लाह की याद और अल्लाह के ज़िक्र में रहता है।
नबी ﷺ ने फ़रमाया: “वुज़ू के साथ रहना ईमान की निशानी है।” (अहमद)
वुज़ू एक ऐसी ढाल है जो शैतान के असर से बचाती है, जादू, जिन्नात का असर नहीं होने पाता और जब इंसान पाक और वुजू की हालत में रहता है, उसका दिल हल्का, ज़बान साफ़, और सोच सकारात्मक (Positive) रहती है।
4. दुआ की क़ुबूलियत
वुज़ू सिर्फ़ आपको पाक नहीं करता बल्कि वो दुआ की क़बूलियत की कुंजी भी है, और इसके बारे में
नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया: “जब कोई शख्स वुज़ू करके दो रकअत नमाज़ पढ़े और दिल से कुछ माँगे, अल्लाह उसे अता करता है।” (तिर्मिज़ी)
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वुज़ू के बाद इंसान की हालत सबसे ज़्यादा रूहानी तौर पर साफ़ सुथरी और अल्लाह के करीब होती है, तो ऐसे वक़्त में की गयी दुआ रद्द नहीं हुआ करती है।
Benefits Of Wudu In Islam
वुज़ू के जिस्मानी (Scientific) फायदे
एक बात बहुत अहम् है कि इस्लाम सिर्फ़ रूहानी धर्म नहीं है, बल्कि ये साइंस के हिसाब से भी मुकम्मल है। और आज तो science ने भी इस्लामी आमाल पर ख़ूब research की है, और ये माना है कि वुज़ू जैसी प्रैक्टिस से न सिर्फ़ शरीर साफ़ रहता है, बल्कि ज़हनी और जिस्मानी सेहत पर भी गहरा असर पड़ता है।
1. स्किन की सफ़ाई और फ्रेशनेस
दिन में पाँच बार चेहरा, हाथ और पैर धोना एक ज़बरदस्त स्किन केयर रूटीन है, जिससे चेहरे की गंदगी, डस्ट और बैक्टीरिया हट जाते हैं, और स्किन चमकदार और फ्रेश रहती है और यक़ीनन आपने देखा ही होगा कि जो लोग वुज़ू करते हैं, उनके चेहरे पर हमेशा एक ताज़गी बनी रहती है, चाहे मौसम कोई भी हो।
2. ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है
जब आप जिस्म के किसी हिस्से (हाथ, पैर, चेहरे) पर पानी डालते हैं, तो ये एक तरह की नरम मसाज है, जिससे खून का बहाव (blood circulation) बेहतर होता है, थकान दूर होती है और जिस्म में नयापन सा महसूस होता है, कुल मिला कर वुज़ू आपके जिस्म के अंदर एनर्ज़ी भर देता है।
3. नाक और मुँह की सफ़ाई
मेडिकल साइंस का मानना है कि सर्दी, ज़ुकाम और एलर्जी की कई बीमारियाँ जब पैदा होती हैं तो उस की वजह नाक में जमी रहने वाली गंदगी होती हैं, लेकिन जब हम वुज़ू करते हैं तो नाक में भी पानी डालते हैं, और उसको साफ़ करते हैं और कुल्ली करके मुंह भी साफ़ करते हैं, तो ये अमल न सिर्फ़ सुन्नत है, बल्कि एक perfect hygiene practice भी है।
4. मानसिक सुकून (Mental Peace)
जब ठंडा पानी चेहरे और सिर पर पड़ता है, तो nervous system रिलैक्स हो जाता है, इससे दिमाग की गर्मी ख़त्म होती है, ग़ुस्सा ठंडा होता है, दिमाग़ शांत होता है, और दिल हल्का महसूस करने लगता है, इसीलिए हदीस में ज़िक्र है कि
فَإِذَا غَضِبَ أَحَدُكُمْ فَلْيَتَوَضَّأْ जब तुम में से किसी को ग़ुस्सा आए तो वो वुज़ू कर ले।" (رواہ أبو داؤد، حدیث: 4784)
क्यूंकि जब इंसान ग़ुस्से में हो और वुज़ू कर ले, तो उसका ग़ुस्सा अपने आप कम हो जाता है।
5. बेहतर नींद और फोकस
नबी ﷺकरीम ने फ़रमाया: “जो शख्स सोने से पहले वुज़ू करता है,तो उसके साथ एक फरिश्ता रातभर रहता है।” (सहीह बुखारी)
इसके अलावा वुजू करके सोने के बड़े फ़ायदे और फजीलतें हदीस में बयान की गयी हैं, और Science का भी कहना है कि सोने से पहले जब हम ठंडे पानी से अपने जिस्म के ख़ास हिस्सों को धोते हैं, तो टेंशन हार्मोन घटते हैं और नींद गहरी होती है तो वुज़ू से न सिर्फ़ रूह सुकून पाती है, बल्कि दिमाग़ भी सुकून भरी नींद के लिए तैयार हो जाता है।
वुज़ू के बाद की दुआ — एक जन्नती तोहफ़ा
वुज़ू पूरा करने के बाद नबी करीम ﷺ ने यह दुआ सिखाई:
नबी ﷺ ने फ़रमाया “जो शख्स वुज़ू करके यह दुआ पढ़े, उसके लिए जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिए जाते हैं।” (सहीह मुस्लिम, हदीस नं. 234) أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلٰهَ إِلَّا اللّٰهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيْكَ لَهُ، وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ اللّهُمَّ اجْعَلْنِيْ مِنَ التَّوَّابِيْنَ، وَاجْعَلْنِيْ مِنَ الْمُتَطَهِّرِيْنَ अशहदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीक लह, व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु वा रसूलुहु, अल्लाहुम् मजअल्नी मिनत् तव्वाबीन, वज अल्नी मिनल मुत तह्हिरीन तरजुमा: “मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वह अकेला है और उसका कोई शरीक नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद ﷺ अल्लाह के बन्दे और उसके रसूल हैं, ऐ अल्लाह! मुझे तौबा करने वालों और पाक रहने वालों में शामिल फ़रमा।”
क्या तोहफ़ा है, ज़रा सोचिए ! एक छोटा-सा वुज़ू और आपके लिए जन्नत के आठ दरवाज़े खुल जाते हैं।
नतीजा (Conclusion)
वुज़ू कोई मामूली काम नहीं है, बल्कि यह एक रूहानी तब्दीली (spiritual transformation) है, जिससे इन्सान का अंदरूनी और बाहरी दोनों हिस्से पाक और साफ़ हो जाते हैं, और चेहरे से धूल, दिल से गुनाह, और दिमाग़ से तनाव ख़त्म हो जाता है, इसके अलावा वो अल्लाह के करीब और शैतान से दूर होता है, और खुद को अन्दर से हल्का महसूस करता है।
इसलिए अगली बार जब आप वुज़ू करें, तो इसे एक इबादत समझकर करें, ऐसी इबादत जो रोहानी ताज़गी अता करती है और हर बूंद को महसूस करें कि वो सिर्फ़ पानी नहीं, बल्कि रहमत की बूंदें हैं, जो आपके गुनाहों को और ग़मों को धो रही हैं।
वुज़ू एक छोटा सा अमल है, लेकिन जन्नत तक पहुँचाने में हमारी मदद करता है, अगर इस ब्लॉग ने आपको नयी जानकारी दी हो, तो अगली बार वुज़ू करते वक़्त इसे याद कीजिएगा शायद उस वक्त आपकी रूह भी मुस्कुरा उठे और कहें कि ये हैं Benefits Of Wudu In Islam |