Surah Ikhlas Ki Fazilat Aur Fayde | सूरह इख़लास की फ़ज़ीलत

सूरह इख़लास (क़ुल हूवल्लाहु अहद) जो क़ुरआन मजीद की एक छोटी सी सूरह है, और इसमें सिर्फ़ 4 आयतें हैं, लेकिन इसकी अहमियत और बरकतें इतनी बड़ी हैं कि इंसान को जन्नत, गुनाहों की माफी और दुनियावी परेशानियों से नजात भी नसीब हो सकती है, इसलिए आज हम Surah Ikhlas Ki Fazilat Aur Fayde तफ़सील से बताएँगे |

और हाँ ! ये फ़ज़ीलतें और फ़ायदे वही हैं जिनको हदीसों में बयान किया गया है, और इन सिर्फ़ चार आयतों में अल्लाह के एक होने, और उसकी बेनियाज़ी को बयान किया गया है। यह सूरह इतनी छोटी है कि बच्चा-बच्चा इसे याद कर लेता है, लेकिन इसकी फ़ज़ीलत इतनी बड़ी है कि बड़ी बड़ी इबादतों के बराबर इनाम मिलता है। तो चलिए देखें हदीस में सूरह इख़लास की फ़ज़ीलत क्या बयान की गयी है |

1. सूरह इख़लास से मोहब्बत और जन्नत

रसूलुल्लाह ﷺ के पास एक सहाबी आए और उन्होंने अर्ज़ किया कि उन्हें सूरह इख़लास से बहुत मोहब्बत है। नबी ﷺ ने फ़रमाया: “तुम्हारी मोहब्बत तुम्हें जन्नत में दाख़िल करेगी।”
(मुसनद अहमद 22049)

यानी इस सूरह से दिली मोहब्बत भी जन्नत का रास्ता खोल सकती है।

2. सूरह इख़लास कुरआन का एक तिहाई

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“उस ज़ात की क़सम जिसके हाथ में मेरी जान है! सूरह इख़लास कुरआन के एक तिहाई के बराबर है।”
(सहीह बुखारी 6643, सहीह मुस्लिम 811)

और एक दूसरी हदीस में है कि

हज़रत अबू हुरैरा (रज़ि.) से रिवायत है, रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“लोगों को जमा करो, मैं तुम्हें कुरआन का एक तिहाई सुनाऊँगा।” सहाबा इकट्ठा हो गए। नबी ﷺ बाहर आए और सूरह इख़लास की तिलावत की और वापस चले गए। सहाबा ने आपस में कहा: “शायद अभी कोई नया हुक्म नाज़िल हुआ है।” फिर नबी ﷺ दोबारा आए और फ़रमाया: मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुम्हें कुरआन का एक तिहाई सुनाऊँगा। सुन लो! यह सूरह (क़ुल हूवल्लाहु अहद) कुरआन के एक तिहाई के बराबर है।
(सहीह मुस्लिम: 811, अबू दाऊद: 1462)

इससे साफ़ है कि Surah Ikhlas यानि सिर्फ़ चार आयतें पढ़ने का सवाब दस पारों जितना है तो अगर कोई रोज़ाना सूरह इख्लास पढ़े तो वह एक तिहाई कुरआन यानि 10 पारे पढ़ने का सवाब पा सकता है।

3. जन्नत में महल का इनाम

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“जो शख़्स सूरह इख़लास 10 बार पढ़ेगा, अल्लाह उसके लिए जन्नत में एक महल बनाएगा।”
(सुनन दरिमी 3399, मुस्नद अहमद 22128)

हज़रत उमर (रज़ि.) ने कहा कि हम तो बहुत से महल बनवाएँगे। आप ﷺ ने फरमाया: अल्लाह और भी ज़्यादा और बेहतर अता करेगा।”

सूरह इख्लास की इतनी फ़ज़ीलत क्यूँ?

Surah Ikhlas की फ़ज़ीलत इतनी ज़्यादा इसलिए है क्यूंकि इसका मज़मून बहुत वजनी है, इसमें बताई गयी बातें ये हैं..

  • (तौहीद) अल्लाह का एक होना,
  • उसका बेनियाज होना,
  • उसकी औलाद ना होना,
  • ना वो किसी की औलाद होना,
  • कोई उसके बराबर नहीं

इन बातों का इस्लाम में अक़ीदा होना बहुत ज़रूरी है, और इस सूरह में साफ़ तौर पर ये बातें बताई गयी हैं ताकि अक़ीदा मजबूत हो और ईमान को ताकत मिले और दिल से शक शुबह ख़त्म हो।

Surah Ikhlas Ki Fazilat Aur Fayde

मुँह के छाले और मसूड़ों का इलाज

अगर मुँह में छाले हो जो ठीक ना हो रहे हो या मसूड़ों में दर्द हो दवा असर नहीं कर रही तो 41 बार Surah Ikhlas पढ़कर मिश्री या चीनी पर दम करें और 11 दिन तक रोज़ाना उसे चूसें, इंशाअल्लाह आराम मिलेगा।

औलाद की नेमत के लिए

जिन दंपत्तियों को औलाद नसीब नहीं हो रही, उनके लिए भी Surah Ikhlas का अमल कुछ इस तरह है कि दस दिन तक रोज़ाना 1000 बार सूरह इख़लास पढ़कर पानी पर दम करें, और मियां बीवी दोनों उस पानी को पिएँ और शुरू व आखिर में 11 बार दुरूद इब्राहीमी भी पढ़ें, इंशाल्लाह अल्लाह तआला जरूर अपना करम करेंगे और रुकावट दूर होके औलाद नसीब होगी।

परेशानियों और हाजतों का हल

अगर कोई ज़रूरत पूरी नहीं हो रही हो या इंसान मुश्किल में है, तो किसी भी नमाज़ के बाद 71 बार Surah Ikhlas पढ़ें, अव्वल आखिर 11 बार दुरूद शरीफ़ और यह अमल 71 दिन तक करें। अल्लाह ग़ैब से मदद अता करता है और हाजतें पूरी होती हैं।

बेगुनाह कैदी की रिहाई

अगर कोई मज़लूम कैद में हो तो उसके लिए उसके घरवाले Surah Ikhlas कसरत से पढ़ें, साथ में सच्ची तौबा और दुआ करें, अल्लाह रिहाई का रास्ता खोल देता है, बशर्ते इंसान दोबारा गुनाह की तरफ़ न लौटे।

मुर्दों को सवाब पहुँचाने का आसान तरीक़ा

मरहूम को सवाब पहुँचाने के लिए Surah Ikhlas पढ़ना बहुत फ़ायदेमंद है मिसाल के तौर पर अगर लोग कब्रिस्तान में 3-3 बार सूरह इख़लास पढ़ें तो क्योंकि एक बार पढ़ना कुरआन के एक तिहाई के बराबर है, तो यह 3 बार पढ़ना पूरे कुरआन पढ़ने के बराबर होगा और उसका सारा सवाब मरहूम को पहुँचेगा,।

नतीजा

Surah Ikhlas छोटी सी सूरह है, लेकिन इसके फ़ज़ाइल बहुत बड़े हैं, यह तौहीद की बुनियाद है और इसके अमल से इंसान को दुनियावी परेशानियों से राहत और आख़िरत की कामयाबी दोनों हासिल होती हैं, जन्नत के महल, गुनाहों की माफी और ईमान की मजबूती जैसी बरकतें इसकी अहमियत को और बढ़ा देती हैं इसलिए हमें चाहिए कि इस सूरह को अपने रोज़ाना के मामूल में शामिल करें।

अगर आपको यह जानकारी फायदेमंद लगी तो इसे अपने दोस्तों और घरवालों तक ज़रूर पहुँचाएँ, ताकि वो भी Surah Ikhlas की बरकतों से फायदा उठा सकें।

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