क़ुरआने पाक अल्लाह तआला का कलाम है। इसकी हर सूरह इंसान की हिदायत के लिए नाज़िल हुई है, मगर कुछ सूरतें ऐसी हैं जिन्हें नबी करीम ﷺ ने ख़ास तौर पर पढ़ने की ताकीद की है, उन्हीं में से एक है सूरह मुल्क, तो आज हम Surah Mulk Ki Fazilat Aur Fayde इस पोस्ट में ज़िक्र करेंगे |
ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इस सूरह को सोने से पहले पढ़ने की तालीम दी है और इसे कब्र के अज़ाब से बचाने वाली सूरह बताया है, तो चलिए, सूरह मुल्क की तालीमात, उसके पैग़ाम और उसके बेशुमार फायदे पर तफ़सीली गुफ्तगू करते हैं।
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सूरह मुल्क का तआरुफ़ (Introduction)
इसमें 2 चीज़ों को ख़ास कर बयान किया गया है
- मौत और ज़िंदगी का मकसद
इस सूरह की एक आयत है:
“अल्लज़ी खलक़ल मौत वल हयात लियबलुवकुम अय्युकुम अह्सनु ‘अमला”
“वही है जिसने मौत और ज़िंदगी को पैदा किया ताकि वह देखे तुममें से कौन बेहतर अमल करता है।”
यहां मौत का ज़िक्र ज़िंदगी से पहले आया है, ताकि हमें याद रहे कि आख़िरत की ज़िंदगी मौत के बाद शुरू होती है। मौत कोई अंत नहीं बल्कि असल सफ़र की शुरुआत है।
2. अल्लाह की कुदरत की निशानियाँ
सूरह मुल्क इंसान को बार-बार गौरो फिक्र की दावत देती है जैसे कि हमें देखना चाहिए कि
- आसमान की बेदाग़ बनावट – सात लेयर्स में बना है, बिना किसी कमी या खलल के
- सितारे – जो सिर्फ़ आसमान की ज़ीनत ही नहीं बल्कि शैतानों को मार भगाने का ज़रिया भी हैं।
- पानी – जो हमारी ज़िंदगी का बुनियादी सहारा है। अल्लाह तआला पूछते हैं: “अगर तुम्हारा पानी ज़मीन में समा जाए तो कौन है जो तुम्हें साफ़ पानी लाकर दे?”
ये सब निशानियाँ इंसान को याद दिलाती हैं कि हमारी इस दुनिया में ली गयी हर सांस सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह की रहमत और बरकत से है।
सूरह मुल्क की फज़ीलतें और फायदे
1. कब्र के अज़ाब से हिफाज़त
यह सबसे मशहूर और बड़ी फज़ीलत है। हदीसों में आता है कि जो शख़्स रात को सूरह मुल्क पढ़ता है, यह सूरह कब्र में उसके लिए ढाल (shield) बन जाती है।
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“सूरह तबारक (यानी सूरह मुल्क) कब्र के अज़ाब से बचाने वाली है।”
Musnad Ahmad (Hadith 7630), Sunan at-Tirmidhi (Hadith 2891)
इसलिए इसे “अल-मानीआ” (रोकने वाली) और “अल-मुंजिया” (नजात देने वाली) कहा गया है।
2. क़यामत के दिन शिफाअत (सिफ़ारिश)
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया कि क़ुरआन की एक सूरह है जिसमें 30 आयतें हैं, जो अपने पढ़ने वाले के लिए सिफ़ारिश करती रहेगी, यहाँ तक कि उसे जन्नत में दाख़िल करा देगी। उलमा ने कहा कि यह सूरह मुल्क ही है।
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“क़ुरआन की 30 आयतों की एक सूरह ने एक आदमी की शिफ़ाअत (सिफारिश) की तो उसे बख्श दिया गया ये सूरह “तबारकल लज़ी बियदिहिल मुल्क” है।Sunan Abu Dawood (Hadith 1400), Jami at-Tirmidhi (Hadith 2891)
3. ईमान को मजबूत करना
सूरह मुल्क बार-बार इंसान को याद दिलाती है कि दुनिया की ज़िंदगी अस्थाई है और असली मक़सद अच्छे अमल हैं। यह इंसान को गुनाहों से रोकती और नेक अमल की तरफ़ ले जाती है।
रूहानी और दुनियावी फायदे
रात को सूरह मुल्क पढ़ने वाले की हिफ़ाज़त के लिए एक फ़रिश्ता मुकर्रर कर दिया जाता है। इससे बुरे ख्यालात, वसवसों और बुरे ख्वाबों से निजात मिलती है।दिल और दिमाग़ को सुकून मिलता है, टेंशन और घबराहट दूर होती है।दुआएँ कबूल होने में आसानी होती है और ज़िंदगी में बरकत आती है।
सूरह मुल्क पढ़ने का सही वक़्त क्या है ?
सबसे अच्छा वक़्त रात को सोने से पहले है।
हज़रत जाबिर रज़ि. से रिवायत है:
“रसूलुल्लाह ﷺ सोने से पहले सूरह अस-सज्दा और सूरह अल-मुल्क की तिलावत फ़रमाते थे।”
Sunan at-Tirmidhi (Hadith 2892)
सूरह मुल्क का निचोड़
अगर हम इस पूरी सूरह का पैग़ाम एक जुमले में बयान करें तो वह यह होगा: “असल हुकूमत सिर्फ़ अल्लाह की है, इंसान की ज़िंदगी एक इम्तिहान है, और आख़िरत ही असली मंज़िल है।” यह सूरह इंसान को उम्मीद और डर – दोनों का बैलेंस देती है। उम्मीद इस बात की कि अल्लाह गफूरुर रहीम है, और डर इस बात का कि उसकी पकड़ भी बहुत सख़्त है।
आख़िरी बात
रसूलुल्लाह ﷺ की तालीमात पर अमल करते हुए अगर हम इसे रात को सोने से पहले पाबंदी से पढ़ें, तो यक़ीनन यह हमें कब्र के अज़ाब से बचाने वाली और आख़िरत में शिफाअत करने वाली बन जाएगी। अल्लाह तआला हम सबको अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए | आमीन