क़ुरान पाक में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है कि अगर तुम जनाबत (नापाकी ) की हालत में हो तो खूब अच्छी तरह से पाकी हासिल करो (सूरह निसा आयत न.6) और हदीस शरीफ़ में अल्लाह के रसूल (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया कि : “रहमत के फ़रिश्ते ऐसे घर में दाख़िल नहीं होते जहाँ तस्वीर, कुत्ता, या जुनुबी ( नापाक ) शख्स हो” यानि हमको पाक होना पड़ेगा और पाक होने के लिए गुस्ल करना होता है तो आज हम गुस्ल का तरीक़ा (Ghusl Ka Tariqa) बताएँगे कि हम Ghusl kaise kare |
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Ghusl Kise Kahte Hain ? गुस्ल किसे कहते हैं ?
यक़ीनन हर कोई अपने जिस्म की गन्दगी मिटाने के लिए और थकावट ख़त्म कर के जिस्म में चुस्ती और फुर्ती लाने के लिए अपने जिस्म को साफ़ करता हैं, जिसको आम ज़ुबान में नहाना कहते हैं, इसी नहाने को उर्दू में ग़ुस्ल कहते हैं |
लेकिन एक बात ख़ूब समझ लें कि यही गुस्ल यानि कि नहाना कुछ जगहों पर फ़र्ज़ और ज़रूरी हो जाता है बगैर गुस्ल किये हुए आप नापाक रहते हैं, और बहुत सारे दीनी (मज़हबी) काम नहीं कर सकते |
लेकिन क्या आपको मालूम है कि Ghusl kaise kare क्यूंकि इस्लाम ने जो गुस्ल का तरीक़ा बताया है उसी तरीक़े से गुस्ल करना होगा, क्यूंकि तभी आप पाक हो सकेंगे और तभी आपका वुज़ू होगा और जब वुज़ू होगा तभी आपकी नमाज़ क़ुबूल होगी |
वो काम जो बगैर ग़ुस्ल के नहीं हो सकते
- नमाज़ नहीं पढ़ सकते हैं,
- क़ुरआन नहीं पढ़ सकते,
- कुरआन की किसी आयत को नहीं छू सकते
- काबे का तवाफ़ भी नहीं कर सकते,
- मस्जिद में दाख़िल भी नहीं हो सकते जब तक एमरजेंसी न हो
Ghusl Ke Faraiz Kitne Hai ? गुस्ल में कितने फ़राइज़ हैं ?
तो सब से पहले आप ये जान लें कि ग़ुस्ल में फ़र्ज़ कौन कौन सी चीज़ें हैं क्यूंकि इन को जाने बगैर, इन पर अमल किये बगैर इस्लाम के नज़दीक आप पाक नहीं होते, और अगर आप ये फ़र्ज़ अदा कर लेते हैं और सुन्नत तरीक़े पर पूरा ग़ुस्ल नहीं भी करते, तब भी ग़ुस्ल हो गया
- कुल्ली करना
- नाक में पानी डालना
- पूरे बदन पर पानी बहाना
नहाने के दौरान ये 3 काम ऐसे हैं कि अगर जान बूझ कर या भूल का भी छूट गए तो याद रखियेगा कि समन्दर में भी अगर आप डुबकी लगा लें तब भी शरीअत के हिसाब से आप पाक नहीं होंगे क्यूंकि पाक होने के लिए नहाने का इस्लामी तरीक़ा ज़रूरी है

Ghusl Ka Sunnat Tariqa | ग़ुस्ल का सुन्नत तरीक़ा
ऊपर आपने पढ़ा कि सिर्फ फ़र्ज़ ( कुल्ली, नाक में पानी, पूरे बदन पर पानी ) अदा कर लें तो आप पाक हो गए लेकिन जब आप एक काम कर ही रहे हैं, तो क्यूँ न उसको हमारे नबी स.अ. के तरीक़े के मुताबिक़ (यानि सुन्नत तरीक़े से) करें इससे सवाब भी बढ़ जायेगा और आप नबी के सच्चे पैरवी करने वाले बनेंगे |
तो क्यूँ न हम जानें कि हमारे अल्लाह के रसूल स.अ. ने हमें गुस्ल का क्या तरीक़ा बताया है
- नहाने वाला सब से पहले पाकी की नियत करे
- बिस्मिल्लाह पढ़े
- अपने दोनों हाथ धोये
- फिर अपनी शर्मगाह को धोये
- और पूरे बदन पर जहाँ कहीं भी गन्दगी लगी हो वो सब साफ़ करे
- फिर वैसे ही वुज़ू करे जैसे नमाज़ के लिए किया जाता है
- फिर अपने दाहिने कन्धे पर फिर बाएं कन्धे पर तीन बार पानी डाले, और उसके बाद सर पर तीन बार पानी डाले फिर ऐसे ही पूरे बदन पर पानी बहाये, और इस तरह बहाए कि जिस्म को कोई हिस्सा भी ख़ुश्क न रह जाये
अब आप का गुस्ल सिर्फ़ फ़र्ज़ नहीं, बल्कि सुन्नत तरीक़े पर हो गया अब आप पाक भी हुए और सुन्नत पर अमल करने का सवाब भी हासिल हो गया
ग़ुस्ल कब फ़र्ज़ (ज़रूरी) हो जाता है ? Ghusl Kaise Tootta Hai
- मनी का निकलना (sperm के discharge होने पर )
- एह्तेलाम हो जाना ( Nightfall होने पर )
- हैज़ से पाक होना (माहवारी ख़त्म होने पर)
- निफ़ास से पाक होने पर (बच्चे की पैदाइश पर जो खून आता है उसके बंद हो जाने पर )
नीचे की दो लाइनें ख़ास औरतों के लिए हैं
ग़ुस्ल के वक़्त 5 बातों का ख्याल रखें
- क़िबला रुख होकर (यानि काबे की तरफ़ मुंह करके गुस्ल न करे)
- ज़रुरत से ज़्यादा पानी न बहाए
- ऐसी जगह नहाये जहाँ लोगों की नज़र न पड़ती हो
- अगर गुसलखाने में पानी जमा होता हो तो गुस्ल के बाद वहां से हट कर अपने पैर धुल ले
- अपने जिस्म को रगड़ कर धोये (ताकि जिस्म को कोई हिस्सा ख़ुश्क न रह जाये)
7 जगहों में गुस्ल करना सुन्नत है
आप ने ये पढ़ लिया कि गुस्ल कब (फ़र्ज़) ज़रूरी होता है, लेकिन कुछ जगहें ऐसी हैं जहाँ पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ नहीं है लेकिन सुन्नत है और ऐसे मौकों पर अगर नापाक नहीं भी है फिर भी ग़ुस्ल करना चाहिए जैसे…
- जुमा के दिन
- दोनों ईद के दिन
- एहराम बांधते वक़्त
- मक्का में दाखिल होते वक़्त
- अराफ़ात में ठहरते वक़्त
- मय्यत को ग़ुस्ल देने के बाद
- इस्लाम क़ुबूल करते वक़्त
ग़ुस्ल क्यूँ करें ? क्यूँ गुस्ल ज़रूरी है ?
- पाक रहना हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है और ये अल्लाह तआला को ख़ुश और राज़ी करता है (अबू दाऊद और तिरमिज़ी )
- बराबर नापाक रहना बड़ी महरूमी और बदनसीबी की बात है
- पाकी आधा ईमान है (मुस्लिम)
- यह ईमान वालों की ख़ास चीज़ों में से एक है क्योंकि ये एक ऐसी इबादत है जिसको सिर्फ़ अल्लाह ने ही देखा है।(इब्न माजा) (इसका मतलब है कि आप पाक हैं या नापाक कोई नहीं जानता ये सिर्फ़ आपके और अल्लाह के बीच का मामला है लेकिन नापाक होने पर आप फ़ौरन गुस्ल करते हैं क्यूंकि आपके अन्दर ईमान है और ईमान वाला जानता है कि अल्लाह कोई इबादत बगैर पाक हुए क़ुबूल नहीं करेंगे
- पाक रहने से इंसान बहुत से गुनाहों से बचा रहता है
- नापाकी का दिल पर बहुत बुरा असर पड़ता है
FAQ About Ghusl In Hindi
Q.1 कुल्ली करना फ़र्ज़ है लेकिन अगर कोई भूल गया या जिस्म का कोई हिस्सा सूखा रह गया तो क्या ग़ुस्ल हो जायेगा ?
A. गुस्ल के दौरान अगर कोई कुल्ली करना भूल गया या नाक में पानी डालना भूल गया तो जैसे ही याद आये वो सिर्फ अगर कुल्ली नहीं की थी तो कुल्ली कर ले और नाक में पानी नहीं डाला था तो नाक में पानी डाल दे दोबारा नहाने की ज़रुरत नहीं है गुस्ल हो जायेगा
या अगर जिस्म का कोई हिस्सा सूखा रह गया नहाने के बाद देखा तो अब जाकर उतना ही हिस्सा धो ले फिर से गुस्ल करने की ज़रुरत नहीं है
Q.2 ग़ुस्ल के लिए क्या बालों की चोटी खोलना ज़रूरी है ?
A. अगर औरत के बाल पहले से बंधे थे और उसे पाक होने के लिए ग़ुस्ल करना है तो चोटी खोलने की ज़रुरत नहीं है बस बालों की जड़ों तक पानी पहुंचा दे अगर बाल पहले से बंधे न थे तो फिर पूरे बालों को धोना ज़रूरी है
लेकिन ये सहूलत सिर्फ़ औरतों के लिए ही है मर्द के लिए नहीं क्यूंकि अगर मर्द ने इतने बड़े बाल रखे हैं कि वो चोटी बांधता है तो ग़ुस्ल के लिए उसे बालों को खोलना पड़ेगा इसके बगैर गुस्ल नहीं होगा
Q. 3 क्या ग़ुस्ल के बाद नमाज़ पढने के लिए वजू करना पड़ेगा ? kya ghusl ke baad wazu zaruri hai ?
A. आपने सुन्नत के मुताबिक़ वुज़ू कर लिया बस यही काफ़ी है अलग से आपको वुज़ू करने की ज़रुरत नहीं है
Q.4 क्या बगैर कपड़ों के ग़ुस्ल किया जा सकता है ?
A. जहाँ दुसरे की नज़र पड़ने का अंदेशा न हो वहां बगैर कपड़ों के नहाया जा सकता है लेकिन बेहतर है कि तहबन्द या कपड़ा वगैरा बाँध कर ग़ुस्ल करे