Speech on Seerat un Nabi For Student In Hindi, Urdu

जब स्कूल में कोई प्रोग्राम होता है, तो बच्चे कई Topics पर Speech तैयार करते हैं उसके लिए परेशान होते हैं, लेकिन अब आपको परेशान होने की ज़रुरत नहीं है, क्यूंकि यहाँ पर बहुत उम्दा Speech पेश की जा रही है जिसका Topic है Seerat un Nabi |

तो अगर आप स्कूल या मदरसे में Speech On Seerat Un Nabi पेश करना चाहते हैं, तो आज हम आपके लिए एक बहुत ही उम्दा, आसान और दिल को छू लेने वाली तक़रीर लेकर आए हैं। यह Speech न सिर्फ़ Milad Un Nabi के मौक़े पर काम आएगी बल्कि हर प्रोग्राम में चार चाँद लगा देगी, और आप Seerat un Nabi का ज़िक्र करके अल्लाह के यहाँ सवाब के हक़दार बन जायेंगे |

Speech on Seerat un Nabi For Student In Hindi

अल्हम्दुलिल्लाह, वस्सलातु वस्सलामु अला रसूलिल्लाह

मेरे अज़ीज़ भाइयों और बहनों!

आज की इस मुबारक महफ़िल में, मुझे जिस मौज़ू पर लब-कुशाई करने का मौक़ा मिला है, उसका उनवान है:
“सीरतुन नबी ﷺ”।

अज़ीज़ भाइयों और बहनों!

यह महीना रबीउल-अव्वल का महीना है।
यही वह महीना है जिसमें सारी क़ायनात की रहमत, सारी दुनिया के लिए हिदायत और अर्श-ए-इलाही के नूर, हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ तशरीफ़ लाए।

अज़ीज़ों ! हमारे आका ﷺ की पैदाइश सिर्फ़ एक वाक़िया नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए नई ज़िंदगी, नया उजाला और नई रहमत थी।

अगर हमारे नबी ﷺ न आते…
तो न आसमान होता, न ज़मीन होती, न इन्सान होते और न ही ईमान। किसी शायर ने क्या खूब कहा है:

मिटते हैं मिट जाएंगे अदा(दुश्मन) तेरे,
ना मिटा है, ना मिटेगा कभी चर्चा तेरा।

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!
नबी करीम ﷺ के बेशुमार मोजिज़ात हैं। इतने मोजिज़ात हैं कि जिनको गिना नहीं जा सकता। लेकिन आज मैं दो अज़ीम मोजिज़ात आपके सामने रखूँगा।

सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम की हदीस है।
मक्का के काफ़िरों ने कहा: “अगर आप अल्लाह के नबी हैं, तो कोई निशानी दिखाइए।”

आक़ा ﷺ ने फ़रमाया: “तुम्हें क्या चाहिए?”

उन्होंने कहा: “चाँद के दो टुकड़े कर दीजिए।”

भाइयों और बहनों!
सोचिए, यह कितनी बड़ी माँग थी! इंसान अगर ज़मीन की कोई चीज़ बदल दे तो गुफ़्तगू हो सकती है, मगर चाँद को कौन छू सकता है?

लेकिन हमारे आक़ा ﷺ ने उंगली उठाई… और अल्लाह के हुक्म से चाँद के दो टुकड़े हो गए। एक टुकड़ा सफ़ा पहाड़ी की तरफ़ चला गया, दूसरा क़ुबा की तरफ़ चला गया।

काफ़िर दंग रह गए।
कुछ ने कहा “ये जादू है।” लेकिन बाहर से आने वाले क़ाफ़िलों ने भी तस्दीक़ की कि उन्होंने भी यही मंज़र देखा है।

यह वह अज़ीम वाकिया है यह वो अज़ीम मोजिज़ा है, जिसने हबीब यमनी जैसे लोगों को ईमान की दौलत अता कर दी।

भाइयों और बहनों!

अब मैं आपको एक और अज़ीम मोजिज़ा की दास्ताँ सुनाता हूँ

एक रात जब हज़रत जिब्रील अमीन हमारे आक़ा ﷺ के पास तशरीफ़ लाते हैं, आक़ा ﷺ को पहले मस्जिद-ए-अक्सा तक लेकर जाते है। जहाँ पर सारे नबी मौजूद होते हैं, और हमारे आका ﷺ की अजमत तो देखिये कि सारे नबियों की इमामत का शरफ आप ही को मिलता है |

फिर आसमानों का सफ़र शुरू होता है।
पहले आसमान पर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात होती है ।
दूसरे पर हज़रत ईसा व हज़रत यह्या अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात होती है
तीसरे पर हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम से,
चौथे पर हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम से,
पाँचवें पर हज़रत हारून अलैहिस्सलाम से,
छठे पर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से,
और सातवें आसमान पर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात होती है।

कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाते है:

“पाक है वह (अल्लाह), जिसने अपने बंदे को एक रात मस्जिद-ए-हराम से मस्जिद-ए-अक्सा तक सैर कराई।”
(सूरह बनी इस्राईल, आयत 1)

आख़िरकार, हमारे आक़ा ﷺ ने वह मुक़ाम पाया जहाँ तक कोई नबी, कोई फ़रिश्ता नहीं पहुँच सका।
और वहीं पर पाँच वक्त की नमाज़ का तोहफ़ा मिला, जो आज तक उम्मत के लिए रहमत और हिदायत बनी हुई है।

मेरे भाइयों और बहनों!
यह दोनों वाक़ियात हमें यह बताते हैं कि मेरे नबी का मक़ाम क्या था? मेरे नबी का मरतबा क्या था? अल्लाह तआला ने हमारे नबी ﷺ को सिर्फ़ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी कायनात के लिए एक कामिल और मुकम्मल नमूना बना कर पेश किया । उनकी सीरत रहमत है, बरकत है और हिदायत का सरचश्मा है।

अगर हम दुनिया और आख़िरत में कामयाब होना चाहते हैं, तो हमें उनकी सुन्नतों को अपनाना होगा,
उनकी सीरत को ज़िंदगी का हिस्सा बनाना होगा, और हर लम्हा क़दम ब क़दम नबी के फ़रमान और इरशादात को अपने सीने से लगाना  होगा और उन पर अमल करना होगा ।

वमा अलैना इल्लल-बलाग़

Speech on Seerat un Nabi

Speech on Seerat un Nabi For Student In Urdu

الحمد للّٰہ، والصلوٰۃ والسلام علیٰ رسول اللّٰہ۔
میرے عزیز بھائیو اور بہنو!
آج کی اس مبارک محفل میں، مجھے جس موضوع پر لب کشائی کرنے کا موقع ملا ہے، اُس کا عنوان ہے:
“سیرتِ نبی ﷺ”

عزیز بھائیو اور بہنو!
یہ مہینہ ربیع الاول کا مہینہ ہے۔
یہی وہ مہینہ ہے جس میں ساری کائنات کی رحمت، ساری دنیا کے لیے ہدایت اور عرشِ الٰہی کا نور، ہمارے پیارے نبی حضرت محمد مصطفیٰ ﷺ تشریف لائے۔

! عزیزو
ہمارے آقا ﷺ کی پیدائش صرف ایک واقعہ نہیں بلکہ پوری انسانیت کے لیے نئی زندگی، نیا اجالا اور نئی رحمت تھی۔
اگر ہمارے نبی ﷺ نہ آتے…
تو نہ آسمان ہوتا، نہ زمین ہوتی، نہ انسان ہوتے اور نہ ہی ایمان۔

کسی شاعر نے کیا خوب کہا ہے:
مٹتے ہیں مٹ جائیں گے عدو تیرے،
نہ مٹا ہے نہ مٹے گا کبھی چرچا تیرا۔

میرے پیارے بھائیو اور بہنو!
نبی کریم ﷺ کے بے شمار معجزات ہیں، اتنے معجزات ہیں کہ جنہیں گنا نہیں جا سکتا۔
لیکن آج میں دو عظیم معجزات آپ کے سامنے رکھوں گا۔

صحیح بخاری اور صحیح مسلم کی حدیث ہے:
مکہ کے کافروں نے کہا:
“اگر آپ اللہ کے نبی ہیں تو کوئی نشانی دکھائیے۔”
آقا ﷺ نے فرمایا:
“تمہیں کیا چاہیے؟”
انہوں نے کہا:
“چاند کے دو ٹکڑے کر دیجیے۔”

بھائیو اور بہنو!
سوچئے یہ کتنی بڑی مانگ تھی!
انسان اگر زمین کی کوئی چیز بدل دے تو بات ہو سکتی ہے،
مگر چاند کو کون چھو سکتا ہے؟

لیکن ہمارے آقا ﷺ نے انگلی اٹھائی…
اور اللہ کے حکم سے چاند کے دو ٹکڑے ہو گئے۔
ایک ٹکڑا صفا پہاڑی کی طرف چلا گیا،
دوسرا قباء کی طرف چلا گیا۔

کافر دنگ رہ گئے۔
کچھ نے کہا “یہ جادو ہے”،
مگر باہر سے آنے والے قافلوں نے بھی تصدیق کی کہ انہوں نے بھی یہی منظر دیکھا ہے۔
یہ وہ عظیم واقعہ ہے، یہ وہ عظیم معجزہ ہے جس نے حبیب یمنی جیسے لوگوں کو ایمان کی دولت عطا کر دی۔

بھائیو اور بہنو!
اب میں آپ کو ایک اور عظیم معجزہ سناتا ہوں۔
ایک رات جب حضرت جبرائیلِ امین ہمارے آقا ﷺ کے پاس تشریف لائے،
آقا ﷺ کو پہلے مسجدِ اقصیٰ تک لے کر گئے،
جہاں سارے انبیاء موجود تھے اور ہمارے آقا ﷺ کی عظمت تو دیکھیے کہ سارے انبیاء کی امامت کا شرف آپ ہی کو ملا۔

پھر آسمانوں کا سفر شروع ہوا۔
پہلے آسمان پر حضرت آدمؑ سے ملاقات ہوئی،
دوسرے پر حضرت عیسیٰؑ اور حضرت یحییٰؑ سے،
تیسرے پر حضرت یوسفؑ سے،
چوتھے پر حضرت ادریسؑ سے،
پانچویں پر حضرت ہارونؑ سے،
چھٹے پر حضرت موسیٰؑ سے،
اور ساتویں آسمان پر حضرت ابراہیمؑ سے ملاقات ہوئی۔

قرآن میں اللہ تعالیٰ فرماتے ہیں:
“پاک ہے وہ (اللہ) جس نے اپنے بندے کو ایک رات مسجدِ حرام سے مسجدِ اقصیٰ تک سیر کرائی۔”
(سورۃ بنی اسرائیل، آیت 1)

آخرکار ہمارے آقا ﷺ نے وہ مقام پایا جہاں تک کوئی نبی، کوئی فرشتہ نہیں پہنچ سکا۔
وہیں پانچ وقت کی نماز کا تحفہ ملا جو آج تک امت کے لیے رحمت اور ہدایت بنی ہوئی ہے۔

میرے بھائیو اور بہنو!
یہ دونوں واقعات ہمیں یہ بتاتے ہیں کہ ہمارے نبی ﷺ کا مقام کیا تھا، مرتبہ کیا تھا۔
اللہ تعالیٰ نے ہمارے نبی ﷺ کو صرف انسانوں کے لیے نہیں بلکہ پوری کائنات کے لیے کامل اور مکمل نمونہ بنا کر پیش کیا۔

ان کی سیرت رحمت ہے، برکت ہے اور ہدایت کا سرچشمہ ہے۔
اگر ہم دنیا اور آخرت میں کامیاب ہونا چاہتے ہیں،
تو ہمیں ان کی سنتوں کو اپنانا ہوگا،
ان کی سیرت کو زندگی کا حصہ بنانا ہوگا،
اور ہر لمحہ قدم بہ قدم نبی کے فرامین کو سینے سے لگانا ہوگا اور ان پر عمل کرنا ہوگا۔

وما علینا الا البلاغ ۔

Morning और Evening अज़्कार पढ़ने के लिए क्लिक करें

Leave a Comment