आप जब वज़ू करते हैं तो हाथ, पैर, चेहरा, मुंह, धुलते हैं और मसह करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पूरे वज़ू के process में कुछ चीज़ों का धुलना फ़र्ज़ है और कुछ का धुलना सुन्नत, अगर नहीं जानते हैं तो आज जान लें, क्यूंकि जिन का धुलना फ़र्ज़ है अगर उन में से कुछ भी छूट गया, तो वज़ू नहीं होगा, जब वज़ू नहीं होगा तो नमाज़ भी नहीं होगी, तो इसलिए आज हम Wazu ke faraiz और wazu ki sunnate बयान करेंगे |
Wazu Ke Faraiz In Hindi
वज़ू के फ़राइज़ 4 हैं
1. चेहरा धोना
वुज़ू में चेहरा धोना फ़र्ज़ है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि चेहरे की हद कहाँ से कहाँ तक है जिस का धोना फ़र्ज़ है
चेहरे की हद : माथे के ऊपरी हिस्से (जहाँ बाल उगते हैं) से लेकर ठोड़ी के नीचे तक और एक साइड के कान से दूसरे साइड के कान तक पूरा चेहरा, ये चेहरे की हद है और इतना हिस्सा धोना फ़र्ज़ और ज़रूरी है
ध्यान रहे:
दाढ़ी (अगर घनी है) तो उसका खिलाल करना यानि उस में भी पानी पहुँचना चाहिए।
2. दोनों हाथों को कुहनियों समेत धोना
दूसरी चीज़ जो वज़ू में फ़र्ज़ है वो है उंगलियों से लेकर कुहनी (elbow) तक पूरा हाथ धोना
ध्यान दें:
अगर ज़रा-सा भी हिस्सा सूखा रह गया तो वुज़ू नहीं होगा।
3. चौथाई सर का मसह करना
तीसरी चीज़ जो फ़र्ज़ है वो है सर के चौथाई (1/4) हिस्से पर मसह करना यहाँ पर धोने की बात नहीं है, बल्कि सिर्फ़ गीले हाथ से सिर पर हाथ फेरना है।
कैसे करें:
हाथ को गीला करें और सर के अगले हिस्से पर रख कर पीछे की तरफ़ ले जाएँ, इसी अमल को मसह कहते हैं
4. पैरों को टखनों समेत धोना
चौथा और आख़िरी फ़र्ज़ उंगलियों से लेकर टखनों तक (ankles) अच्छी तरह दोनों पैर धोना
ध्यान दें:
एड़ियां सूखी न रह जाएँ और पैर की उंगलियों के बीच पानी पहुँचना ज़रूरी है। अगर कुछ हिस्सा भी सूखा रह जाए, तो वुज़ू नहीं होगा।

Wazu Ki Sunnate | वुज़ू की सुन्नतें
हम ने Wazu ke faraiz सीख लिए, और ये भी जान लिया कि उन में से एक के भी छूटने पर वज़ू नहीं होगा, लेकिन अब हम Wazu Ki Sunnate बयान करने जा रहे हैं, और सुन्नत का इस्लाम में हुक्म ये है कि अगर इन में से कुछ छूट गया तो वुज़ू हो जायेगा लेकिन सुन्नत के ख़िलाफ़ होगा, इसलिए हमें हमेशा इस बात का ख्याल रखना है कि सिर्फ़ फ़र्ज़ ही न अदा हो बल्कि सुन्नत भी पूरी तरीक़े से अदा हो, ताकि सुन्नत का सवाब भी मिले और हमारे नबी के तरीक़े पर अमल भी हो जाये |
सुन्नत : हमारे नबी के तरीक़े को कहते हैं
1.नियत करना
वुज़ू से पहले अल्लाह की रिज़ा की ख़ातिर नमाज़ के लिए पाक होने की नियत करना और ये नियत सिर्फ दिल में हो बस यही काफ़ी है ख़ास कर ज़ुबान से कहना ज़रूरी नहीं है
2. बिस्मिल्लाह पढ़ना
हर काम से पहले “बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम” पढ़ना चाहिए ताकि उस काम में बरकत हो और सवाब भी मिले
3. मिस्वाक करना
मिस्वाक हमारे नबी सुन्नत है, जिसके बारे में हमारे नबी पाक स.अ. ने फ़रमाया था कि “अगर मुझे इस बात का डर न होता कि मेरी उम्मत दिक्क़त में पड़ जाएगी तो मैं इस उम्मत पर मिस्वाक फ़र्ज़ कर देता” क्यूंकि मिस्वाक मुंह की सफ़ाई का और अल्लाह की रिज़ा का एक बेहतरीन ज़रिया है |
4. तीन बार कलाइयों तक हाथ धोना
यानि कुहनियों तक हाथ धोना फ़र्ज़ है लेकिन कलाइयों तक धोना सुन्नत है
5. तीन बार नाक साफ़ करना
नाक में नर्म हड्डी तक पानी पहुँचाना, बाएं हाथ से नाक साफ़ करना और उसी हाथ की छोटी ऊँगली नाक के अन्दर चला लेना ताकि अन्दर की सफ़ाई हो सके
6. कुल्ली करना
मुंह में पानी डाल कर दोनों तरफ़ चला लेना ताकि मुंह की सफ़ाई हो सके, और अगर वुज़ू से पहले कुछ खाया है और उसके कुछ टुकड़े दांत में फंसे हैं तो वो निकल सकें
7. दाढ़ी का खिलाल करना
हाथ गीले करके अपनी उँगलियों को दाढ़ी के आर पार कर देना
8. जिस्म के तमाम हिस्सों को तीन तीन बार धोना
हाँ ! ये ज़रूर याद रहे कि जल्द बाज़ी में कोई हिस्सा सिर्फ एक बार धुला या दो बार धुला ऐसा नहीं होना चाहिए बल्कि कम से कम तीन बार धोना चाहिए यही सुन्नत है
9. मुकम्मल सर का मसह करना
चौथाई सर का मसह फ़र्ज़ है लेकिन पूरे सर का मसह सुन्नत है
10. कानों का और गरदन का मसह करना
सर के मसह के बाद कानों और गर्दन का मसह सुन्नत है
11. जिस्म के तमाम हिस्सों को मल कर धोना
मल कर धोना इसलिए बताया गया है ताकि कोई बाल भी सूख न रह जाये इसलिए जिन हिस्सों को धोना बताया गया है उसको अच्छी तरह से धुलना
12. दाहिनी तरफ़ से शुरू करना
इस्लाम में कोई चीज़ दाहिनी तरफ से करना बताया गया है इसीलिए वुज़ू में भी जो जिस्म के हिस्से दो हैं जैसे हाथ और पैर तो इनमे से जो दाहिना है पहले उसको धोना फिर बायाँ धोना
13. पानी के इस्तेमाल में एहतियात करना
ऊपर बताया गया कि कम से कम तीन बार धोना सुन्नत है लेकिन कहीं ऐसा न हो कि आप धुलते ही चले जाएँ और पानी फ़ुज़ूल में ख़र्च करें जो कि बहुत ही मकरूह अमल है तो जब वुज़ू के दौरान पानी के इस्तेमाल में एहतियात बताया गया है तो आम मामलात में तो और ही ज़्यादा बचने की ज़रुरत है
14. वुज़ू के बाद की दुआ पढ़ना

तरजुमा :
“मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, और मोहम्मद (ﷺ) अल्लाह के बन्दे और रसूल हैं। ऐ अल्लाह! मुझे तौबा करने वालों में से कर दीजिये और पाकीज़गी इख्तियार करने वालों में बना दीजिये।”
इस दुआ के पढ़ने वाले के लिए हदीस में फ़रमाया गया है कि: “जो शख्स वुज़ू करके ये दुआ पढ़े, उसके लिए जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिए जाते हैं।” (मुस्लिम)
अल्लाह तआला हम सब को अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए ! आमीन
ये तो रहे wazu ke faraiz aur wazu ki sunnate अब अगर आपको step by step वजू का तरीक़ा सीखना है तो इस लिंक पर जाएँ